Page 251 - Cascade I SHPS School Magazine 2024
P. 251

छोटू का सपना                                                                               आयष अन प्रशाि

                                                                                                     ु
                                                                                                ु
                                                                                                          ं
                                                                                            V A
























              राजधानी का भव्य नज़ारा





            ह   म सब हर वर् गरमी की छकटियों म कहीं न कहीं घमन  े  म कस करू! सचमच अकवस्मरणीय व लाजवाब ही ह ৷
                                                         ू
                                                                  ैं
                                                                    ै
                                            ें
                                      ु
                            ्त
                                                                       े
                                                                                  ु
                                                                                                               ै
                                                                           ँ
                               ें
                                                                                                  े
                      ैं
                    े
                          ू
                                          ु
                                                  े
                                                                                 ँ
                                                                    ु
                                                                                            ु
                                                                                            ं
                                              ँ
                जात ह ৷  स्ल म गरमी की छकटिया होन पर हम सब
                                                                 क़ ु तब मीनार की ऊचाई और सदरता दखकर हम आश्च-
                                   े
                          ु
                                                                  ्त
                                                                                        े
                                                                                                 े
            पररवार सकहत कछ कदनों क कलए ककसी अच्ी जगह यात्ा       य-चककत रह गए ৷  कदल्ी क होटल स स्ाकदष्ट भोजन भी
                   े
                         े
                                                                                        े
            पर जात ह ৷  मर पररवार म म, मरा छोटा भाई और माता-     खाया ৷  उस कदन थकावट स जल्ी सो गए ৷
                          े
                     ैं
                                     ैं
                                   ें
                                        े
                                                                                                        ं
                                                                                               े
            कपता ह ৷                                                तीसर  कदन  सवर  ही  हम  घमन  कनकल...जतर  मतर,
                                                                                                     े
                                                                                            ू
                                                                        े
                                                                                                              ं
                                                                                 े
                                                                                  े
                  ैं
                                                                                                               ं
                                                                                                  ँ
                                       ें
                      ्त
                                                                                                                े
                                 ु
                                                                                 े
               इस वर् गरमी की छकटियों म हम कदल्ी की यात्ा पर     राजघट,  कनॉट  प्स,  हुमाय  टॉम्ब,  चादनी  चौक,  पराठ
                                                                                         ू
                                                                                         ँ
                                         ें
            गए थ, जो बहुत यादगार ह ৷  हम इस यात्ा पर बहुत ही     वाली गली, पाकलका बाज़ार, स़िदर माककट, करोल बाग,
                                                                                                   ्त
                                   ै
                 े
            आनद आया ৷  मनन इस यात्ा क दौरान बहुत कछ सीखा ৷       लाजपत  नगर,  सरोकजनी  चौक  आकद  स्थानों  पर  बहुत
                                                   ु
                ं
                            े
                           ैं
                                      े
                                          े
              ैं
            म बताता हू आपको अपनी कदल्ी क स़िर की कहानी ৷         शॉकपग भी ककया ৷
                      ँ
                                                                     ं
                                                 े
                                                                                                           ं
                            ें
                                                   ं
               मई क महीन म १५ तारीख को हम सब न मगला एक्स-           कदल्ी की यह यात्ा स्मरणीय रहगी और कनस्दह म   ैं
                          े
                                                                                                े
                                                                                                             े
                    े
                         े
                                                                                      ँ
            प्रस स कदल्ी क कलए यात्ा शरू की ৷  १७ को दोपहर हम    दोबारा  कदल्ी  जाना  चाहूगा  ৷  कदल्ी  पढ़ाई  क  कलए  भी
                  े
                                     ु
                                                                                                        े
              े
                                                                             ें
                                                                                                     े
            सब कदल्ी पहुच गए थ ৷  कदल्ी म मर मामा जी रहत ह,      बहुत अच्ा कद्र ह ৷ दश क म कोन-कोन स छात् यहा    ँ
                                                                                                 े
                                                                                            ें
                                                                                     े
                                                                                 ै
                                                                                                        े
                                                                                         े
                                                            ैं
                                            े
                                                          े
                                े
                                          ें
                                             े
                         ँ
            तो हम सब रुकन क कलए उनक ही घर गए ৷ व हम लन क         पढ़ाई करन व परीक्ा की तयारी करन क कलए आत ह ৷
                                      े
                                                          े
                                                                                        ै
                                                        े
                                                   े
                                                      ें
                           े
                             े
                                                                           े
                                                                                                              ैं
                                                                                                            े
                                                                                                  े
                                                                                                े
                                                           े
                             े
                   े
                                       े
                                                                                                            े
                                                                                      ें
            कलए स्शन आए थ ৷  हम सबन स्ान ककया, खाना खाया            हम सबको कदल्ी म बहुत मज़ा आया ৷ हमन बहुत
                                े
                                 े
                             ू
                  ै
            और तयार होकर घमन क कलए कनकल गए ৷  कदल्ी बहुत         सारी खरीददारी भी की ৷ उसक बाद हम सब २० तारीख
                                                                                           े
                                                                              े
                                                                                   े
                                                                                                               े
                            ु
                 ु
            ही सदर व सा़ि सथरा शहर ह और बहुत बिा भी ৷            को वापस अपन घर क कलए कदल्ी स रवाना हो गए ৷ दश
                 ं
                                      ै
                                                                                                े
                                                                                                              ु
                               ं
                                                                                े
                                      े
                                                                                  े
                    े
               अगल  कदन  हम  इकडया  गट,  राष्ट ट्र पकत  भवन,  क़ ु तब   की राजधानी होन क साथ-साथ कदल्ी एक बहुत सदर
                                                           ु
                                                                                                              ं
                                        े
            मीनार,  जामा  मक्जिद,  लोटस  टम्पल,  लाल  ककला  आकद   स्थान ह, जहा हर दशवासी को अपन जीवन म एक बार
                                                                       ै
                                                                                  े
                                                                                                े
                                                                            ँ
                                                                                                         ें
                                                           ्त
                                 े
                                     े
                                                 ु
            सदर ऐकतहाकसक स्थान दखन गए ৷  उस अनभव का वणन          ज़रूर जाना चाकहए ৷
              ं
              ु
                                                                                             Cascade         251
   246   247   248   249   250   251   252   253   254   255   256