Page 250 - Cascade I SHPS School Magazine 2024
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छोटू का सपना

                        इलेश पोििर
                        X C








           छो    ट न अपन जीवन क सात साल अनाथालय म     ें        को कोई नहीं लगा... मरी स़िद शट कोई चमत्ार नहीं
                                                                                              ्त
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                 कबताए ৷  एक सिक दघटना म उसक माता-कपता
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           की मत् हो गई थी ৷  उसकी दखभाल करन वाला कोई             नीरू वहा स कनकला और बच्ों की कतार म लग
                                                                                                        ें
                                                                             े
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           नहीं था ৷  दघटना क बाद उसक पिोसी न उस एक             गया ৷ छोट का कोमल ह्रदय नीरू की कठोर बातों स जम
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           अनाथालय म भतती करवाया ৷  लककन छोट को वहा कभी         गया ৷ “म बदसरत हू ! म कतार म नहीं खिा
                                                                                    ैं
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           शाकत नहीं कमली ৷  अनाथालय उसक कलए नरक था ৷           रहूगा ৷” छोट न धीमी आवाज़ म कहा ৷  गोद लन उस
                                                                  ँ
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           रसोई वाला खाना खान ही नहीं दता था ৷  दसर लिक         कदन कई लोग अनाथालय आए थ ৷  स़िद सािी पहन    े
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                                                                             े
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           हमशा उस सतात थ ৷  “कोई मरी परवाह क्ों नहीं           एक मकहला न दखा कक एक छोटा लिका कोन म बठा रो
                                                                                      े
                                                                            न
                                                                             े
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           करता ?”, “मर माता-कपता मझ छोिकर क्ों चल गए ?”,       रहा था ৷  उन्होंन बालक स रोन का कारण पछा ৷
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           “क्ा म इतना बरा हू ?”, “क्ा मरा सपना कभी सच           कससकत हुए बालक न अपन रोन की वजह बताई ৷
                                                                                        े
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           होगा ?”  नौ साल का छोट अपन मासम ख़यालों म खोया        बालक की मासकमयत स व कहल गई थीं ৷  उन्होंन बालक
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           हुआ कदन कबताता था ৷                                  को अपनान का िसला ककया ৷
                                                                              ै
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              किर स रकववार की कवशर् बठक का कदन आया ৷              छोट क आस प्ार मस्ान म बदल गए ৷ “क्ा यह
                                                                                    ु
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           कछ अनाथ बच्ों क कलए यह खशककस्मती का कदन होता         सपना ह !” -कवस्मय म छोट न िसिसाया ৷  “नहीं बटा,
                                                                                      ू
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           और दसर बच्ों क कलए बदककस्मती का ৷  बदककस्मती         तम इसक हकदार हो !” मकहला न उस प्ार स गल   े
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                                                                                            े
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           को झलना इन अनाथ बच्ों न सीख ही कलया था ৷ यह          लगात हुए कहा ৷ अपन सपन को हकीकत बनता दख
                                                                                                          े
                                                                     े
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           बच्ों को गोद लन का कदन था ৷  बहतर जीवन पान की        छोट िला न समाया ৷ गोद लन क दो हफ़् क भीतर ही
                                                                                                     े
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           आशा क साथ सभी न अपन अच् कपि पहन, लककन                छोट को स्ल म भतती ककया गया और उस सब कछ
                                   े
                                                                                                         ु
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           छोट का कदल चपचाप रो रहा था... उसक पास कछ             कदया गया कजसका वह सपना दखा करता था ৷ “मझ   े
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                                                                            ँ
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           अच्ा नहीं था पहनन क कलए ৷  उसन नीरू स स़िद           इतनी प्ारी मा और इतना अच्ा घर कदलान क कलए
                                                  े
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           शट उधार दन का अनरोध ककया ৷  नीरू न उसका              ईश्वर का धन्यवाद ! “ छोट न मन ही मन कहा ৷
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           मज़ाक उिात हुए कहा- “दखो, ऐस बदसरत लिक
           250      Cascade
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