Page 258 - Cascade I SHPS School Magazine 2024
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बनाती थीं। पापा मझ शाम को स्टर पर
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नज़दीक क बाज़ार घमन ल जात थ। म ैं
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और पापा गॉ ंव क नदी म हर रोज़ नहात े
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थ। गॉ ंव स जान क दो कदन पहल मम्मी
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मछली पकिन का प्रयास कर रही थी। अदनरुद्ध टी एस
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मम्मी हमार साथ पहली बार पानी म ें
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आईं क्ोंकक उन्ह लगता था कक पानी म ें प्वज्ान
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स मगरमच् आकर उन्ह खा जाएगा।
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मझ गॉ ंव म बहुत मज़ा आया। जब
हम गॉ ंव स वापस भवनश्वर जा रह थ, एक वरदान
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नानी रो रही थी और नाना बहुत दखी थ।
हम 4 घट बाद भवनश्वर पहुच। हमन े
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बाकी कदन आराम ककय। अगल 2 सप्ाह
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मझ मर ररश्दारों और मर माता-कपता
क दोस्तों क घर ल जाया गया। 8 मई
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को हम परी गए। यह एक प्रकसद्ध समद्र
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तट ह जहा भगवान जगन्ाथ का मकदर
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क्स्थत ह। यहा वर् म एक बार एक बहुत
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ही कवशर् उत्सव होता ह कजस "रथयात्ा"
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कहा जाता ह। एक घट का स़िर था l
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हम अपन होटल पहुच और दोपहर का
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भोजन ककया और कमर म एक किल्म
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दखी। शाम करीब साढ़ छह बज म और
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मर माता-कपता समद्र तट की ओर बढ़ े
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और दो घट तक समद्र का आनद कलया ।
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अगल कदन हम सबह पाच बज उठ और
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किर समद्र तट पर बठ और सययोदय का कव ज्ान एक वरदान ह। हमार जीवन क हर पल
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आनद कलया। पद्रह कमनट क बाद हमन े हर काय म कवज्ान का योगदान ह। आज जो
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स्ान ककया, नाश्ा ककया और जगन्ाथ सख सकवधा को हम भोग रह ह वह कवज्ान की ही
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मकदर की ओर चल पि। बाद म लगभग दन ह। कवज्ान इतनी तज़ी स बढ़ रहा ह, और हमार े
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साढ़ ग्यारह बज हम जगन्ाथ मकदर क जीवन को बदल रहा ह। तो हम कह सकत ह कक
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दशन करन क बाद वापस भवनश्वर की वह समाज की रीढ़ की हड्ी ह। हम सभी कवज्ान
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ओर चल पि। और उसक आकवष्ारों पर ही कनभर ह। कवज्ान
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य मरी छकटियों की सनहरी याद ह ैं की सहायता स हमारा जीवन आसान और सकव-
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कजसम मनन अपन माता-कपता क साथ धाजनक हो पाया ह, और इसी की वजह स ही पर े
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कई अलग-अलग जगहों की यात्ा की कवश्व का कवकास हुआ ह। कवज्ान जो हम वरदान क
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और अपन राज्य क सबस सदर और रूप म प्राप् हुआ ह इसका उपयोग सावधानी स े
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मनमोहक स्थानों का आनद कलया l म ैं ककया जाना चाकहए, नहीं तो यह एक अकभशाप बन
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इन खबसरत यादों को हमशा सजोकर सकता ह । आइए हम सब कमलकर इस वरदान को
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रखगी l सहज कर रख| ें
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