Page 260 - Cascade I SHPS School Magazine 2024
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कगाल कमल थ, जो 2 िीट लब थ। ककालों का सरक्ण
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कवशर् और्कध स ककया जाता ह,ताकक वह बरकरार रह।
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पहाि का भी बहुत अच्ा नज़ारा था। गबा या खबा
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ज़्ादातर जगल का दौरा था। हमारा गाइड चाहता था कक
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हम जगल म दोपहर का भोजन कर। इसकलए हम एक
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छोट-स रस्ोरट म रुक और कतब आडर कदया। यह मा-
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स,पनीर या धकनया पत्ी स भरा हुआ ह। इसक साथ हमन े
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टमाटर करी सॉस क कलए कहा। रोटी परक थ और चाय
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जरूरी थी। यहा लगभग 10 कडग्ी सक्सियस था।
यात्ा का मख्य आकर्ण कनकश्चत रूप स रोलर कॉस्र
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ह। हम एक छोटी कार म बठत ह और पहाि पर चढ़ जात े
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हाकसल की हम सहार क कलए ठडी रकलग को पकिना ह; यह बहुत खबसरत था। पहाि म कोई अन्य पयटक
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पिा कजसस हमार पर शरीर म कबजली का झटका लगा। नहीं थ क्ोंकक आमतौर पर पहाि का उपयोग सकदयों म ें
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अत म हमन एक पतला झरना दखा। कनराशा और ठड स े स्ीइग क कलए ककया जाता ह | जब तक हमन वापस
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हम जल्ी स नीच उतर। जान का िसला ककया तब तक कोहरा सब कछ कनगल
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शाम को हमन ऑपरा हाउस और एक पाक का सर चका था। हम बताया गया था कक हम इस चीज़ को हाथ स े
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ककया। ऑपरा हाउस कला का एक टकिा था कजसम ें चलाना होगा। हम एक लीवर खींचग और वह नीच चला
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शरद ऋत स गज़रन वाला एक शानदार बगीच और नीच े जाएगा। मर पापा न इस बहुत धीमी गकत स ककया तो वह
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स गज़रन वाली एक नदी थी। अगल कदन हम सभी का़िी ठीक था, लककन मरी बहन, जो मर चाचा क साथ गई थी,
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उत्साकहत थ, क्ोंकक हमन कबल कार पर जान की उसन कहा कक उस ऐसी कोई कझझक नहीं थी और उसन े
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योजना बनाई थी। जब हम वहा पहुच तो नज़ारा दखकर तज़ गकत स उिान भरी। वह बहुत रोमाचक था।
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हम चककत रह गए। पहाि लाल, पील,नारगी और हर रग बाक लौटन स पहल यह आक्खरी कदन था। जब हम
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क कमकश्रत थ। हमन जल्ी स कटकट कलया और आग बढ़ वापस बाक गए तो हम सभी न दखा कक कई घरों क चारों
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गए। नीच पर बहुरगी पतझि को दख सकत थ। पील े ओर की दीवार एक जसी थी। गोबस्न रॉक आट पनकटग्स
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पिों का छोटा सा उपवन भी था। मपल क पत् ज़मीन क कलए जाना जाता ह जो हज़ारों साल पहल ककए गए थ।
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पर कगर थ, जो कई तस्ीरों क कलए एकदम सही जगह लककन हम यह समझन क कलए पहल एक सग्हालय स े
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साकबत हुई। गज़रना पिा। सग्हालय क बाहर ऐकतहाकसक काल क
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शकी एक सरमा पराना गाव ह। भल इसम बिी प्र- परुर्ों की झोपकिया और मकतया थीं। कचत्ों म ज़्ादातर
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भावशाली इमारत न हो किर भी इसकी अपनी तरह की गाय-बल और अन्य जानवर शाकमल थ।
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सदरता ह। अगर की बल इसकी सदरता म चार चाद परी ग़िाओं और चटिानों की दीवारों पर नक्ाशी
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लगा दती ह। हस,कत्,मोर,प्ार छोट खरगोश और की गई थी। कछ चटिानों स टकरान पर अनोखी आवाज़
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बतख थीं। अल्ाकनयाई मकदर का रास्ता आधा मज़दार कनकलती थी। मर चाचा-चाची,कपता जी और कछ अन्य
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था। चौिी पत्थर की पक्ी घमावदार सिक, कजसक दोनों पयटकों न इस आज़माया और अत म हम सभी न ताल
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ओर छोट डग ह। अल्ाकनयाई मकदर कभी एक चच था पर नत् ककया।
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और उसस पहल स्थानीय लोगों क कलए एक पकवत् स्थान हवाई अड् की तऱि की वापसी यात्ा म,राज कपर का
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था। लोग अकनि की पजा करत थ। यह एक बि पत्थर की दीवाना, एक अज़रबजानी डाइवर 19 शताब्ी का एक
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सरचना ह, कजसक चारों ओर एक सा़ि-सथरा बगीचा ह। गीत लगाकर गािी को तज़ गकत स चला रहा था। अज़र-
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यह अब एक सग्हालय ह। खदाई म 30 स अकधक मानव बजान की हमारी यात्ा ऐस छोट वीं शताब्ी बन गई ह।
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