Page 95 - Cascade I SHPS School Magazine 2024
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कर्ल डी र्विर् बर्वित
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मेरा शरीर
एक मन्दिर
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ब मै एक छोटा बच्ा था तो अकसर य सोचता था कक पर बर्फीली हैवाओों मै कसर् एक शाल ओढ़कर रहैत है।
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जकै से कु छ लोग अपने शरीर के अनकगनत कष्ोों से गुजरते दसरा उदाहैरण- टलीकवज़न धारावाकहैक पर कदखात है कजसमै ें
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है, ताकक वहै मैानव शरीर की कष् सहैन की सीमैा को पहैचान मैख्य पात्र और ‘हैोस्ट‘ ‘कबयर ग्ीलज़’ अनकगनत ककिन परर-
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सक और इस सीमैा को आग बढ़ा सक। ऐस उदाहैरण मैनन े स््थथकतयोों का सामैना करत हुए सदर घन जगल एव पथ्ी क
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टलीकवज़न पर दख है। जस कक बौद्ध किक् कहैमैालय चोकटयोों श्कलाओों को पार करत हुए अपनी मैकज़ल तक सर्लतापवक
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पहुचत है, और इस सर्र क दौरान वहै बहुमैल्य ‘उत्तरजीकवता
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रणनीकत’ याकन की जीवन रक्क कला का प्रदशन करत है।
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कजसमै वहै अपन शरीर की चरमै सीमैा का इस्मैाल करत है।
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यहै उदाहैरण वास्व मै अद ित एव अकवितीय है।
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उपरोक्त उदाहैरणोों स हैमै कनष्कर् कनकाल सकत है कक
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मैानव शरीर की कष् सहैन की क्मैता बहुत अकधक है और
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यकद एक सामैान्य मैानव िी ऐसा करना चाहै तो वो िी ऐसा
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कर सकता है क्ोोंनकक हैमैार पवज िी जगलोों मै रहैत थ और
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उन्ोोंन िी ऐस कष्ोों को झला है और सर्लतापवक मैानव
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सभ्यता को आग बढ़ाया है। यहै सब सनन मै आसान लगता है ै
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और यहै ताककक िी है।
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